वहीं वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि जीव जंतुओं के लिए पानी रखना तो अच्छा है लेकिन इसकी सही से व्यवस्था करना भी जरुरी है। जल, अग्नि, वायु, आकाश,और पृथ्वी के लिए वास्तु शास्त्र में अलग-अलग दिशाएं बताई गईं हैं। अगर इन दिशाओं के आधार अपर ही काम न किया जाये तो इसके बुरे प्रभाव मानव जीवन पर पड़ने तय हैं। यही वजह है कि आपको ये जानना बेहद जरुरी है कि घर की किस दिशा में पानी का स्थान होना आपके ही शुभ है।
- ईशान कोण जल के लिए सबसे शुभ स्थान है। घर का पानी अगर इस दिशा में हो तो परिवार के सभी सदस्यों की सेहत पर इसका अनुकूल प्रभाव पड़ता है। वहीं जीवन में सुख-समृद्धि भी बढ़ती है।
- घर में पानी का बर्तन हमेशा ही रसोई की उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में ही रखें। वहीं पानी के बोरिंग या भंडारण का टैंक पूर्व, उत्तर या पूर्व उत्तर दिशा में होना चाहिए। मोटर पंप को भी इस ही दिशा में लगवाएं।
- वास्तु शास्त्र में ट्यूबवेल या कुआं का दक्षिण पूर्व, उत्तर पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना शुभ नहीं माना जाता है। आपको इसे उत्तर पूर्व दिशा में लगाना चाहिए।
- अगर अन्य दिशा में कुआं है तो उसे भरवा दें क्योंकि इसका पानी इस्तेमाल करना शुभ नहीं है। अगर आप कुआं नहीं भरवा सकते हैं तो उसके पानी का इस्तेमाल करना ही बंद कर दें।