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बेटे के लिए पिता भूल गया अपने जख्म, 300 किमी साइकिल चलाकर लेकर आया दवाई

Written by plusnews24

कोरोना महामारी (corona pandemic) खतरा कर्नाटक (karnataka) में बना हुआ है, जिसे देखते हुए राज्य सरकार से लॉकडाउन (lockdown) लगाया हुआ है। संक्रमण बढ़ते मामलों के बीच लोग घर से निकलना नहीं चाहते हैं। वहीं आनंद (anand) अपने बच्चे की जान बचाने के लिए भीषण गर्मी में तीन सौ किलोमीटर साइकिल चलाकर दवा लाए। मामला राज्य के मैसुर (mysuru) जिले के कोप्पलू गांव (kopplu village) है। जहां एक पिता कोरोना संकट के दौर में सब कुछ भूल गया और अपने बच्चे की जान बचाने के लिए सभी बाधाओं को पार कर गया। आनंद का बेटा स्पेशल चाइल्ड है, जिसके प्यार में पिता ने जो काम कर दिखाया है। उसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। लोग एक तरफ जहां सरकार और सिस्टम को आलोचना कर रहे हैं। वहीं एक पिता के प्रेम की सराहना एवं प्रशंसा कर रहे हैं।

कोरोना संकट की वजह से राज्य में लॉकडाउन लगा हुआ है। ऐसे में सभी सार्वजनिक परिवहन बंद हैं। मैसुर के कोप्पलू गांव के रहने वाले आनंद का बेटा स्पेशल चाइल्ड है, जिसकी दवा चल रही है और उस दवा की एक खुराक भी छोड़ी नहीं जा सकती है। आर्थिक रूप से कमजोर आनंद के इतने पैसे नहीं थे कि वो कोई निजी वाहन लेकर अपने गांव से बेंगलुरु शहर जाये और बेटे के लिए दवा ले आये। एक दिहाड़ी मजदूर आर्थिक रुप से भले कमजोर (economically weak) था लेकिन उसके पास जो हिम्मत है वो करोड़ो से ज्यादा की है। पिता ने फैसला किया कि वो गांव से साइकिल से ही बेंगलुरु जाएगा और बेटे की दवा लेकर आएगा।

आनंद का कहना है कि डॉक्टर ने मुझे भरोसा दिया है कि अगर उसका बेटा नियमित दवाओं का सेवन करेगा तो 18 वर्ष की उम्र तक ठीक हो जायेगा ,ऐसे में मैं अपने बेटे की एक भी खुराक छोड़ नहीं सकता हूं। मुझे बेंगलुरु (bangalore) से दवा लाने में तीन दिन का समय लगा। लगातार साइकिल चलाने से आनंद के पैर में छाले पड़ गए हैं और पीठ में दर्द होता रहा लेकिन एक पिता बेटे की जान बचाने के लिए सभी दर्द और तकलीफे भूल गया।

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