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महामारी साबित होने वाली है पाॅर्न की दुनिया के लिए यह तकनीक , विशेषज्ञों ने जताई गंभीर चिंता

Written by plusnews24

जब तीन दशक पहले इंटरनेट नहीं था तो ऐसा में पॉर्न कल्चर भी समाज में नही के बराबर था। जिस तरह दुनिया तकनीकी स्तर पर दक्ष होती जा रही है। उसी स्तर पर पॉर्न की दुनिया भी विकसित हुई है। अब एक प्रमुख कानूनी विशेषज्ञ ने दावा है कि डीपफेक पॉर्नोग्राफी आने वाले समय में यौन शोषण की महामारी साबित हो सकता है। वर्षों पहले चेहरे को बदल कर उसकी इमेज को मोडिफाई करने की खबरें आती रही हैं लेकिन डीपफेक तकनीक के चलते यही प्रक्रिया अब वीडियो में भी दोहराई जाने लगी है। यह तकनीक आने वाले दौर में कई लोगों खासकर महिलाओं के लिए नुकसानदेह साबित होगी।

ऐसी है डीपफेक तकनीकी
डीपफेक एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसमें कंप्यूटर तकनीक का इस्तेमाल कर किसी भी इंसान के शरीर पर कोई भी चेहरा रखा जा सकता है। चेहरे को बदला जासकता है। डीपफेक तकनीक इतनी कारगर है कि इसमें कहीं से भी ऐसा प्रतीत नहीं होता कि किसी व्यक्ति के षरीर पर किसी दूसरे का चेहरा इस्तेमाल किया गया है।

कम्प्यूटर की दक्षता पर मिलेगा परिणाम
डीपफेक तकनीक जब बाजार में आयी थी तब कई लोगों को लगा था कि इससे फेक न्यूज के मामले काफी बढ़ सकते हैं। हालांकि इससे पहले ही इस तकनीक के ज्यादा खतरनाक पहलू सामने आने लग गये। डीपफेक्स के विशेषज्ञ हेनरी एजडर इस टेक्नोलॉजी के डेवलेपमेंट को काफी बारीकी से फॉलो कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि डीपफेक का क्रेज 2017 के आसपास शुरु हुआ था। पहले जहां डीपफेक के लिए जटिल विजुएल इफेक्ट्स और प्रोग्रामिंग की जरूरत होती थी। अब कुछ हद तक ज्यादातर लोग इसे कर सकते हैं। तकनीकी के नतीजे कंप्यूटर स्किल्स पर निर्भर करते हैं।

शेफील्ड में रहने वाली हेलेन मोर्ट लेखक हैं। उन्होंने दो साल पहले एक पॉर्न वेबसाइट पर अपनी डीपफेक तस्वीरें देखी थीं। ये तस्वीरें साल 2017 से ही इंटरनेट पर थीं। वह इन तस्वीरों को देखकर सदमे में चली गई थीं। हेलेन ने कहा कि मेरी कोई गलती ना होने के बावजूद मुझे अपने आप को लेकर शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। हेलेन इन तस्वीरों को तो हटवा चुकी हैं लेकिन इंग्लैंड में तस्वीरों के साथ मैनिपुलेशन करना अब तक क्राइम नहीं माना जाता है। हेलेन को अब तक नहीं पता चला है कि किसने उनकी फोटो के साथ छेड़खानी की थी। डरहम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मेक्ग्लायन ने इस मामले में कहा कि यूं तो डीपफेक का शिकार हुए लोगों की संख्या फिलहाल काफी कम है लेकिन अगर हम इसे लेकर पूरी तरह से लापरवाह रहे तो भविष्य में ये बड़ी समस्या बन सकती है। यह महामारी का रूप ले सकता है। इस तकनीक पर काबू नहीं पाया और चीजों को बदलने की कोशिश नहीं की तो ये एक महामारी का रूप धारण कर सकता है। इसे शोषण की महामारी कहना गलत नहीं होगा।

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