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स्वास्थ्य की खबर :- रात को सोते वक़्त नाक में देशी घी की सिर्फ़ 2 बूँदे डालने के ये अचूक फ़ायदे

Written by plusnews24
प्रतिदिन रात को सोते वक़्त नाक में 2–2 बूँद गाय के देशी घी डालना हमें बहुत सारे लाभ देता है। देशी घी को लेट कर नाक में डाले और हल्का सा खिंच ले। और पाच मिनट लेते रहे इसे प्रतिमर्श नस्य कहा जाता है। आज आपको रात को सोते वक़्त नाक में देशी घी की सिर्फ़ 2 बूँदे डालने के अचूक फ़ायदो के बारे में बताएँगे: –
हार्ट अटैक
हार्ट अटैक जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाई खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, ह्रदय मज़बूत होता है।
सोरायसिस और त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक
सोरायसिस गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर घी को पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक कि तरह से इस्तेमाल कर सकते है। यह सोरायसिस के लिए भी कारगर है।
बाल झडना
बाल झडना गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।
आँखों की ज्योति बढ़ती है
आँखों की ज्योति एक चम्मच गाय का शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।
कोमा से जगाए
कोमा गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लौट आती है।
हथेली और पांव के तलवो में जलन
हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा।
कफ की शिकायत
कफ की शिकायत गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।
कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता
कैंसर गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है। देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है।
नस्य (Desi Ghee) ना लेने का समय
नस्य ना लेने का हर समय सही नहीं होता. कृपया ध्यान रखें कि नीचे बताई गयी अवस्थाओं में इसका इस्तेमाल न करें:
  • बीमार पड़ने पर.
  • आघात होने पर.
  • बहुत थका हुआ होने पर.
  • वर्षा ऋतू में जब सूर्य ना हो.
  • गर्भवती या प्रसव के बाद.
  • बाल धोने के बाद.
  • भूक या प्यास लगने पर.
  • अजीर्ण होने पर.
  • अनुवासन बस्ती या विरेचन के बाद.

नोट : इस आर्टिकल में दी गई जानकारियां रिसर्च पर आधारित हैं । इन्‍हें लेकर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूरी तरह सत्‍य और सटीक हैं, इन्‍हें आजमाने और अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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