कोरोना महामारी का कहर उत्तर प्रदेश में शहरों के बाद अब गांवों में भी देखने को मिल रहा है। राज्य के गांवों में संक्रमण पहुंच चुका है और पिछले कई दिनों से लगातार गांवों में मौतें हो रही है। शहरों के बाद गांवों में शुरू हुआ मौतों का ये सिलसिला डराने वाला है लेकिन कई मौतों के मामलों में मरने की वजह संक्रमण मानी नहीं जा रही है।रायबरेली के सुल्तानपुर खेड़ा गांव में पिछले 7 दिनों में कोरोना संक्रमण जैसे लक्षणों ने 17 लोगों की जान ले ली है। इन सभी लोगों की जांच नहीं हुई और न ही इन्हे इलाज मिला। अधिकारी इन मौतों पर फिलहाल अब तक कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
रायबरेली में बढ़ते हुए संक्रमण के मामलों पर न अब तक सांसद सोनिया गांधी ने कुछ बोला है और न ही प्रदेश के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने। जो कि जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं। गांव सुल्तानपुर खेड़ा में करीब पांच सौ परिवार रहते हैं। गांव की आबादी करीब दो हजार है। पिछले कुछ दिनों गांव में मौतों का एक सिलसिला शुरू हो गया। जो थमने का नाम नहीं ले रहा है। घर-घर में लोग रोते हुए दिखाई दे रहे हैं। 17 लोगों की मौत बीते कुछ दिनों में ही हो गई है। इन मौतों के बाद भी अब तक किसी जिम्मेदार अधिकारी ने गांव का रुख नहीं किया है। गांव वाले भी तनाव में हैं लेकिन जिम्मेदार नेता भी महामारी के दौर में गांव वालों की मदद नहीं कर रहे हैं।
जिन लोगों की मौत हुई है। बताया जा रहा है कि उन्हें जुकाम और बुखार था। इसके बाद उन्हें सांस लेने में परेशानी हुई और इलाज न मिलने पर उनकी मौत हो गई। जिला प्रशासन की टीम अब तक गांव नहीं पहुंची हैं। कोरोना संकट के दौरान गांव में हो रही मौतों के बाद भी गांव में अब तक फागिंग, सैनिटाइजेशन नहीं हुआ है। मृतक राकेश शुक्ला और अवधेश गुप्ता की मौत एल2 हॉस्पिटल रेल कोच में हुई है ,जबकि बाकी सभी कोरोना संदिग्धों की मौत घर पर हुई है। गांव के ज्यादातर लोग इस समय सर्दी जुकाम और बुखार से पीड़ित बताए जा रहे हैं।