News राजनीतिक

UP : ब्लैक फंगस ने पकड़ी रफ्तार, छोटे जिलों में नहीं मिल रहा इलाज, 80 की मौत

Written by plusnews24

उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी (Corona Epidemic) की रफ्तार कुछ नियंत्रण में आई है लेकिन ब्लैक फंगस  (Black Fungus) ने रफ्तार पकड़ ली है। सूबे में अब तक 80 की लोगों की जान फंगस की वजह से जा चुकी है, वहीं 1,069 मामले सामने आ चुके हैं। सरकार भले ही दावे कर रही हो कि राज्य में ब्लैक फंगस का इलाज ठीक से हो रहा है लेकिन दावे सिर्फ दावे बनकर रह गए है। बड़े शहरों में ब्लैक फंगस के इलाज मिल रहा है लेकिन ऐसे कई छोटे शहर हैं, जहां मरीजों को सिर्फ रेफर करके ही डॉक्टर काम चला रहे हैं। वहीं मरीज जब तक शहर पहुंचता है इलाज के लिए केस और ज्यादा बिगड़ जाता है। बड़ी बात यह भी सामने निकलकर आ रही है कि फंगस की दवाएं और इंजेक्शन बाजार में नहीं मिल रहे हैं। प्रदेश में 54 मरीज ऐसे भी हैं, जिनकी आंख निकालनी पड़ी है।

नहीं मिला समय से इलाज
गाजियाबाद (Ghaziabad) में एक मरीज में फंगस के तीनों ही लक्षण थे लेकिन उसे समय अपर इंजेक्शन ही नहीं मिला और उसकी मौत हो गई। वहीं शाहजहांपुर (Shahjahanpur) में 5 मामले सामने आये लेकिन उन्हें शहर में इलाज नहीं मिला और उन्हें रेफर कर दिया गया। जब तक वो बड़े शहर पहुंचते इलाज के लिए उसमे से दो की मौत हो गई। वहीं पीलीभीत (Pilibhit) में तो तीन मरीज ब्लैक फंगस के मिले और तीनों को ही मौत हो गई।

वाराणसी (Varanasi) में अब तक कुल 128 मरीज मिले हैं, जिसमे 14 की आंख निकालनी पड़ी है और 19 की मौत हुई है। वहीं मुरादाबाद (Moradabad)  में 17 मरीज मिले हैं और सभी आंख निकालनी पड़ी है। राज्य में ब्लैक फंगस के मामले भयावह होते जा रहे हैं। प्रशासन इस बात की पुष्टि नहीं कर रहा है लेकिन खबर आ रही है कि बिजनौर के एडीजे राजू प्रसाद की मौत भी ब्लैक फंगस की वजह से हुई है।

वहीं राजधानी लखनऊ में अब तक ब्लैक फंगस के 310 मामले समाने आ चुके है। ब्लैक फंगस के इलाज का नोडल सेंटर लखनऊ एसजीपीजीआई (Lucknow SGPGI) को बनाया गया है। यहां 13 डॉक्टरों की टीम तैनात की गई है, जबकि जिलों में ब्लैक फंगस के मरीजों की मॉनिटरिंग की कोई व्यवस्था अब तक नहीं है।

About the author

plusnews24

Leave a Comment